एक भावना ये... (This has been written in Hindi by Sharda Arora: English translation ours.-Ed)
किसने देखा है ज़िन्दगी को मौत के बाद
माँ ! मैं जीना चाहती हूँ
देखना है चेहरा हैवानियत का दिन के उजाले में
कोई शर्म, कोई पछतावे का अंश भी है क्या बाकी
इन्सानियत तार तार हुई, मेरे जिस्म और रूह की तरह
कोई टाँका है किसी के पास, कोई मरहम है क्या
मिटा दे जो दिल के घाव
मैं जिन्दा रहूँगी, कोई शम्मा जलेगी उस अँधेरी रात के बाद
बदल डाला है जिसने मेरी दुनिया का नक्शा
एक धागे का साथ जरुरी है
किसने देखा है शम्मा को बूँद बूँद ढलते हुए
कितना अँधेरा है माँ
उजाले की किरण डर रही है पाँव रखते हुए
कोई छलाँग , कोई नींद , पुल सी कोई भरपाई न
माँ ! मैं जीना चाहती हूँ
तेरी गोद में सर रख के , जी भर के रोना चाहती हूँ"
(Who has seen death after life?
Mom, I want to live
I wanna see the face of devil in the light of day,
Is anything left? even a fraction of shame, repentance?
Humanity torn to shreds, like my body and soul,
Does anybody has a thread, some balm?
which can remove the scars of my heart
I shall remain alive, a flame shall flicker after that dark night
The night which changed the map of my life,
I need the help of a thread,
which has seen a flame melt, drop by drop,
It's too dark, Mom
the rays of the daylight are afraid of stepping in,
Nor a jump, no sleep, nor a bridge
Mom! I want to live
with my head resting in your lap, I want to cry to my fullest.)