"...माँ मैं जीना चाहती हूँ
मुझे जीना हैं माँ
बाहर गहन अँधेरा
माँ मुझे फिर से तेरी कोख में जाना है
उसी सुकून वाले अँधेरे मे
माँ मुझे छुपा लो
फिर से तेरी कोख मे
यहाँ रहने दो माँ
जहाँ कोई भी पुरुष नहीं है
माँ क्या कहती तुम
बाहर जाओ तो एक पुरुष को साथ लेके जाओ
और मत कहना कभी
काश तुम मुझे बता पाती उस पुरुष की पहचान
जिनके लिए नारी केवल एक भोग की सामान है
जिनके घर में ना तो कोई बहन है ना बेटी
और जो बेटा भी नहीं है आपनी माँ की
मुझे आज पुरुष से डर लगता है
माँ बताओ ना ...कैसे कहूँ यह दर्द के छाले
यह पीड़ा ....यह लज्जा ...
किस से कहूँ
मुझे सकती दो माँ एकबार केवल एकबार
मैं लड़ना चाहती हूँ
इस समाज से .......पुरुषों से
आज पूरा देश मेरे साथ है
मुझे जीना है माँ
जीना है"
(Mom, I want to live,
I have to live
Darkness outside
Mom, I want to go back to the safety of your womb
Into that protective darkness
Hide me mom
in your womb
let me stay here Mom
where there are no males.
What are you saying Mom?
If you ever go out, go with a male?
and never tell me this
I wish you could have identify that male
for whom a woman is a product to consume,
those, who do not have a sister, a daughter,
one, who is not even a son to his mother
I am afraid today: of males.
Mom, tell me...how can I describe this lacerated pain?
This sorrow.. this shame..
To whom shall I tell?
Give me the strength, Mom, at least once
I wanna fight--
against this society ..against these males
The whole nation is with me ,
I have to live, mom,
I have to live.)