I had often heard people working to preserve water bodies say “Water demands its rightful place.” This could be wishful thinking on their part, but in contrast their tone appear to be resigned to accepting the fate that water bodies have continuously...
सखी सइयां तो खूब ही कमात है... महंगाई डायन खाए जात है... गीत के बोल महंगाई से जूझ रहे हर शख्स के दिल को वाकई कचोटते हैं... वो सोचने लगता है की उसी की व्यथा-कथा का गान हो रहा है...
रुपहले परदे पर महंगाई को एक बार डायन बता कर गीत क्या गा दिया ...
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