आजकल मैं परेशान हूं। मेरी मुसीबत की नई वजह मेरे सफेद बाल हैं। बीच उम्र में ये सफेद बाल मेरी दुर्दशा करा रहे हैं। मैं अपने जिन मित्र के साथ सुबह टहलने जाता हूं। उनके बाल पूरे काले हैं। दो तीन दिन मैं टहलने नहीं जा पाया। पार्क में मिलने वाली एक महिला ने उन मित्र से पूछा “आजकल पिताजी नहीं आ रहे हैं ”। यह सुन मुझे झटका लगा है। बेवक्त की सफेदी ने मेरी दुकान बंद करा दी। अब मुझे मध्यकालीन कवि केशवदास की पीड़ा समझ में आ रही है। जब ऐसे ही हादसे का शिकार हो उन्होंने लिखा ‘केशव केसन असि करी जस अरिहु न कराय। चन्द्रवदन मृगलोचनी बाबा कहि-कहि जाय’।
मेरे बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। कुछ उम्र का असर और कुछ अनुवांशिकता से यह विरासत मिली। इन बालों का कालापन बना रहे मैंने इसके तमाम नुस्खे आजमाए। पर बाल हैं कि मानते नहीं। किसी ने मुझसे कहा नाखून रगड़िए, कुछ की राय थी कि शीर्षासन कीजिए तो बाल काले होगें। मैंने एक रोज शीर्षासन की भी कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद सिर के बल खड़ा हो पाया। मेरे कुत्ते को लगा कि मेरा दिमाग कुछ गड़बड़ाया हैं। उसने पूरे घर में बवाल मचा दिया। मुझे काटने को दौड़ा। तबसे मैंने यह कसरत बंद कर दी। नाखून रगड़ना शुरु किया तो कई उगंलियों के नाखून उखड़ गए।
अगर बाबा रामदेव पहले हुए होते। तो आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी अपना प्रसिद्ध निबन्ध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ नहीं लिख पाते। बाल काले करने के लिए बाबा ने समूचे राष्ट्र से जो नाखून रगड़वाऐं हैं। उससे कईयो के नाखून उखड़ गए। वे अब बढ़ते ही नहीं। तो आचार्य द्विवेदी लिखते क्या? पागलपन की हद तक लोग मुझे पार्को में नाखून रगड़ते मिलते हैं। नाखून के नीचे जो ग्रन्थियां और नसें हैं। उनका सम्बन्ध बालों से है। इसलिए नाखून रगड़ कर बाल काला करने का चौतरफा उन्माद आजकल समाज में है। सुबह जिन पार्कों से गुजरता हूं। उसमें नाखून रगड़ने में लगे लोगों की एकाग्रता देख, मुझे समझ में आया कि इस देश में गणेश जी क्यों दूध पीते हैं?
बालों में सफेदी इस बात की सूचना है कि अब आप अपनी दुकान समेटिए। आपके समाचार समाप्त हो रहे हैं। आप राम भजन में लगें। लेकिन मैं क्या करुं मेरे पास कुदरत की यह खबर तो उम्र के पच्चीसवें बरस में ही आ गयी थी। जबकि इन बालों की सेवा में मैंने कुछ उठा नहीं रखा। सालों इन्हे सिर पर ढोता रहा। मेरी खोपड़ी में अगर कुछ था तो उसे इन बालों ने खूब चूसा। हजारों शीशी तेल पी गए। कई देशों के शेम्पू लगाए। फिर भी धोखा। मेरे एक चचा थे। उनने सफेद बाल उखड़वाने के लिए बाकायदा एक आदमी रखा था। मैं अगर यह करूं तो गंजा हो जाऊंगा। मुझे इस बात से संतोष है की संसद के उच्चसदन राज्यसभा के 76 प्रतिशत लोगों के बाल सफेद हैं। शायद धूप में नहीं पके हैं।
पर क्या जवानी सिर्फ काले बालों का नाम है? ऋषि ययाति हो या च्यवन, नारायण दत्त तिवारी हो या वी.एस. येदियुरप्पा या फिर कल्याण सिंह इन लोगों ने इस तथ्य को नकार दिया है। दूसरी तरफ काले बालों वाले भी जीवन से लाचार, बुद्धि से पैदल और शरीर से अशक्त दिखायी पड़ते हैं। यह पुरानी बात है जब काला बाल यौवन का और सफेद बाल बुढापे का चिन्ह माना जाता था। कुछ के बाल सफेद हो जाते है पर दिल काला ही रहता है।
रामकथा गवाह है कि सिर्फ एक सफेद बाल ने इतिहास की धारा बदल दी। एक रोज राजा दशरथ को कान के पास सिर्फ एक बाल सफेद दिखा था। दशरथ ने राजपाट छोड़ने का एलान कर दिया। फौरन राम और भरत की किस्मत बदल गयी। लक्ष्मण जरुर गेंहू के साथ घुन की तरह पिसे। तुलसीदास लिखते हैं। “श्रवण समीप भये सित केसा”। पर अब यह सुनने समझने को कौन तैयार है। कुछ लौह पुरुष तो उम्र के पच्चासीवें साल में भी सत्ता की दौड़ में बने रहने को व्याकुल हैं।
जीवन की सच्चाई नकार चिर युवा बने रहने की ललक बड़ी दुर्दशा कराती है। मेरे एक मित्र हैं। जब एक दफा घर लौट जाएं तो आप उनसे दुबारा मिल नहीं सकते। वे अपने को ‘डिसमेन्टल’ कर लेते हैं। सफेद बालों को छुपाने वाला ‘विग’ उतार खूंटी पर टांगते हैं। नकली दांत निकाल डिब्बे में रखते हैं। आंखों से लेंस उतारते हैं। कान से मशीन निकालते हैं। पर क्या मजाल कि वे बुढ़ापे की आहट सुनने को तैयार हों। उनकी पत्नी भी शनिवार तक बूढ़ी दिखती है। और सोमवार को जवान हो जाती हैं। इतवार उनके रंगाई-पुताई का दिन होता है।
अपने यहां सफेद बालों का बाजार चाहे जितना खराब हो। पर पश्चिम में ‘ग्रे हेयर’ की बड़ी प्रतिष्ठा है। वहां इसे परिपक्वता की निशानी मानते हैं। हालांकि हमारे समाज में सिर्फ पके बालों को ज्ञान की गारन्टी नहीं माना जाता। कबीर भी कहते हैं “सिर के केस उज्जल भये, अबहूं निपट अजान”। मनुस्मृति में मनु भी कहते हैं। “न तेन वृद्धो भवति वेनास्य पलितं शिर”। सिर्फ बाल सफेद हो जाने से कोई ज्ञानी नहीं हो जाता। पत्रकारिता में ‘ग्रे हेयर’ के फायदे हैं। आजकल कुछ आधुनिकाएं जरूर इसे ‘साल्ट एंड पेपर स्टाइल’ कहती हैं। ‘ग्रे हेयर’ नया आकर्षण है। ‘साल्ट एंड पेपर’ फिर से चलन में आ रहा है। मैं अब इसी उम्मीद में जी रहा हूं। अपने सफेद बालों के साथ।
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