New Delhi: Expelled Aam Aadmi Party (AAP) founder leader Yogendra Yadav said that he was shocked when news of his expulsion from party was announced by news channels at mid-night.
The leader took to Facebook to express his anguish over the decision of party's National Disciplinary Committee. He said that the result was expected but the timing of announcement was very 'odd'.
AAP's National Disciplinary Committee yesterday late night expelled Yadav, Prashant Bhushan, Ajit Jha and Anand Kumar for 'anti-party activities'.
Below is the Facebook message of Yogendra Yadav :
कई दिन की थकान थी, सोचा था आज रात जल्दी सो जाऊँगा। तभी घर का लैंडलाइन फोन बजा, जो कभी कभार ही बजता है। देखा आधी रात में सिर्फ पांच मिनट बाकी थे। अनिष्ट की आशंका हुई। फोन एक टीवी चैनल से था : "आपको पार्टी से एक्सपेल कर दिया गया है। आपका फोनो लेना है।" मैं सोच पाता उससे पहले मैं इंटरव्यू दे रहा था। आपकी पहली प्रतिक्रिया? आरोपों के जवाब में आपको क्या कहना है? आगे क्या करेंगे? पार्टी कब बनाएंगे? वो प्रश्नो की रस्म निभा रहे थे, मैं उत्तरों की।
कई चैनलों से निपटने के बाद अपने आप से पूछा: तो, आपकी पहली प्रतिक्रिया? अंदर से साफ़ उत्तर नहीं आया। शायद इसलिए चूंकि खबर अप्रत्याशित नहीं थी। पिछले कई दिनों से इशारे साफ़ थे। जब से 28 तारिख की मीटिंग का वाकया हुआ तबसे किसी भी बात से धक्का नहीं लगत। "अनुशासन समिति" के रंग-ढंग से जाहिर था किस फैसले की तैयारी हो चुकी थी। शायद इसीलिये फैसला आते ही कई प्रतिक्रियां एक साथ मन में घूमने लगीं।
अगर आपको घसीट कर आपके घर से निकाल दिया जाये (और तिस पर कैमरे लेकर आपसे आपकी प्रतिक्रिया जानने की होड़ हो) तो आपको कैसा लगेगा? बस वैसा की कुछ लगा।
सबसे पहले तो गुस्सा आता है: ये कौन होते हैं हमें निकालने वाले? कभी मुद्दई भी खुद जज सकते हैं?
फिर अचानक से दबे पाँव दुःख पकड़ लेता है। घर में वो सब याद आता है जो पीछे छूट गया। इतने खूबसूरत वॉलंटीर, कई साथी जो शायद अब मिलने से भी डरेंगे। के एल सहगल गूँज रहे हैं: बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाय...
फिर ममता की बारी है। दिल से दुआ निकलती है: अब जिस का भी कब्ज़ा है वो घर को ठीक से बना कर रखे। जिस उम्मीद को लेकर इतने लोगों ने ये घोंसला बनाया था, उम्मीद कहीं टूट न जाय।
आखिर में कहीं संकल्प अपना सिर उठाता है। समझाता है, जो हुआ अच्छे के लिए ही हुआ। घर कोई ईंट-पत्थर से नहीं बनता, घर तो रिश्तों से बनता है। हो सकता है एक दिन हम उन्हें दुआ देंगे जिन्होंने हमें सड़क पर लाकर नया रास्ता दिखा दिया। हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियाँ गूँज रही थीं: नीड़ का निर्माण फिर ...
ये किसी कहानी का दुखांत नहीं है, एक नयी, सुन्दर और लंबी यात्रा की शुरुआत है।